नई दिल्ली | वैसे कहने को तो दिल्ली महानगर है। साफ सफाई भी हो जाती है। जो कि आप इस तस्वीर मे भी देख सकते है। लेकिन यह इतना बड़ा गड्डा किस के इन्तजार में छोड़ा गया है। यह है ISKON Temple जाने वाले राजा धीरसेन मार्ग पर। जहां मन्दिर होने के कारण शाम को काफी भीड़ रहती है। परन्तु यह तस्वीर मैने सुबह के करीब 10 बजे ली है। यदि शाम को लेता तो स्थित हर किसी को हिला के रख देने वाली होती ।
किसी भी देश के लिए मानव संसाधन सबसे अमूल्य हैं। लोगों से समाज बना हैं, और समाज से देश। लोगों की गतिविधियों का असर समाज और देश के विकास पर पड़ता हैं। इसलिए मानव के शरीरिक, मानसिक क्षमताओं के साथ ही संस्कारों का होना अहम हैं। संस्कारों से मानव अप्रत्यक्ष तौर पर अनुशासन के साथ कर्तव्य और नैतिकता को भी सीखता हैं। सबसे बड़ी दिक्कत यह हैं कि स्कूल और कॉलेजों में ये चीजें पाठ्यक्रम के रूप में शामिल ही नहीं हैं। ऊपर से भाग दौड़ भरी जिंदगी में अभिभावकों के पास भी इतना समय नहीं हैं कि वो बच्चों के साथ वक्त बिता सके। नतीजन, बच्चों में संस्कार की जगह, कई और जानकारियां ले रही हैं। नैतिक मूल्यों को जान ही नहीं पा रहे हैं। संसार आधुनिकता की दौड़ में फिर से आदिमानव युग की तरफ बढ़ रहा हैं। क्योंकि आदिमानव भी सिर्फ भोगी थे। आज का समाज भी भोगवाद की तरफ अग्रसर हो रहा हैं। पिछले दस सालों की स्थिति का वर्तमान से तुलना करे तो सामाजिक बदलाव साफ तौर पर नज़र आयेगा। बदलाव कोई बुरी बात नहीं हैं। बदलाव के साथ संस्कारों का पीछे छुटना घातक हैं। राजस्थान के एक जिले से आई खबर इसी घातकता को बताती हैं। आधुनिकता में प
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- Andaram Bishnoi, Founder, Delhi TV