आखिर इन सफेदपोशो की सभ्यता यही है? की तुम नीच हो?
नहीं मै तो जनेउधारी हिन्दु हुं,! मोदी हिन्दु नहीं है, वो तो हिंदुत्ववादी है!
यार तुम क्या साबित करने तुले हो? लोकतंत्र को मजाक बना के रखा है!!
क्या कोई गरीब तुमको इसलिए वोट देगा की तुम हिन्दु ही नहीं, बल्कि जनेउधारी हिन्दु हो !
या फिर तुमको नीच कह दिया तो पुरे गुजरात का अपमान हो गया ,तो बदला ले वोट देगे।
देश के एक गरीब को इससे कोई मतलब ही नहीं है। चाहे किसी भी धर्म का हो गरीबी तो गरीबी होती है। तुम यह मत सोचो की मै मैने चाय बेंची दी थी तो मुझे वोट दो। यह देखो की हम जनता का क्या करेगे। सड़क पर एक फटी कम्बल को खुद न ओढ़ के अपने बच्चो को ओढ़ाने वालो का क्या काम करोगे।
जब मै रात को टहलने निकलता हु तो सड़को पर ,एक अलग ही दुनिया में सोये लोगो को देखता हुं। तो बड़ा धक्का सा लगता साहब इनकी हालत को देख के ।
साहब तुम तो कभी एयरप्लेन से नीचे उतरते हो नहीं, तुम्हे क्या पता? कम से कम एक रात सड़क पर बिना बिस्तर के फटी कम्बल में सो के तो देखो। फिर पता चलेगा की असली गरीबी क्या होती है।
साहब आप तो गुजरात का बेटा बनके आंसू बहाने में इतने व्यस्त थे की यह भी बताना भूल गये की आप को गुजराती क्यो वोट दे?
बस सिर्फ एक ही बात बोल रहे थे" गुजरात के बेटे का अपमान हो गया। बस कमल के निशान पर बटन दबा के ,बदला ले। लेकिन साहब गरीब को कोई इज्जत नही है क्या?
उसे तो बस विकास चाहिये।
राहुल गाँधी भी कम नही है?
पहले तो ़यह कहते नहीं थकते थे की" लोग मंदिर में लड़कियां छ़ेड़ने जाते है"
तो क्या अब राहुल बाबा भी यही करने जाते है। और तो और पहले कभी तो मंदिर याद नहीं आया। यह चुनाव आते ही कैसे आ जाती है मंदिर की याद। वो भी गुजरात के मंदिरो की!
क्या दिल्ली में मंदिर नहीं? पहले तो कभी मंदिर नहीं गये?
तो अब क्यो?
क्या तुम बस वोट के खातिर कुछ भी करने को तैयार हो जाते हो?
लोकतंत्र की मर्यादा को क्यो भूल जाते हो नेताजी?
दोस्तो इन सब बातो से क्या साबित होता है?
बस यही की नेताओ बस सत्ता-भोग से मतलब है!कैसे भी करके हड़पनी है। चाहे कुछ भी करना पड़े करेगे"
मतलब साफ है मित्रो की अपने देश की राजनीति बहुत ही घटीया दौर से गुजर रही है। देश हित की तो कोई बात भी नही करता।
केवल धर्म की ठेकेदारी के सिवा !
इस तरग से जनेउ से शुरू हुआ सत्ता हड़पने के लिए सिलसिला पहले चरण तक नीचता तक आके रूका है।
अगर मतदान और देरी से होता तो पता नहीं यह बड़बोले और सत्ता के भूखे नेताजी अपने शब्दो के बाणो से कहां तक पहुच जाते।
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जय हिन्द
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कमेन्ट ,शेयर भी कर दीजिएगा, जिससे हमे पता चलेगा की आप हमे पढ़ रहे ,हमारा मनोबल और बढ़ेगा, जो नई पोस्ट डालने के लिए प्रेरित करेगा।
नहीं मै तो जनेउधारी हिन्दु हुं,! मोदी हिन्दु नहीं है, वो तो हिंदुत्ववादी है!
यार तुम क्या साबित करने तुले हो? लोकतंत्र को मजाक बना के रखा है!!
क्या कोई गरीब तुमको इसलिए वोट देगा की तुम हिन्दु ही नहीं, बल्कि जनेउधारी हिन्दु हो !
या फिर तुमको नीच कह दिया तो पुरे गुजरात का अपमान हो गया ,तो बदला ले वोट देगे।
देश के एक गरीब को इससे कोई मतलब ही नहीं है। चाहे किसी भी धर्म का हो गरीबी तो गरीबी होती है। तुम यह मत सोचो की मै मैने चाय बेंची दी थी तो मुझे वोट दो। यह देखो की हम जनता का क्या करेगे। सड़क पर एक फटी कम्बल को खुद न ओढ़ के अपने बच्चो को ओढ़ाने वालो का क्या काम करोगे।
जब मै रात को टहलने निकलता हु तो सड़को पर ,एक अलग ही दुनिया में सोये लोगो को देखता हुं। तो बड़ा धक्का सा लगता साहब इनकी हालत को देख के ।
साहब तुम तो कभी एयरप्लेन से नीचे उतरते हो नहीं, तुम्हे क्या पता? कम से कम एक रात सड़क पर बिना बिस्तर के फटी कम्बल में सो के तो देखो। फिर पता चलेगा की असली गरीबी क्या होती है।
साहब आप तो गुजरात का बेटा बनके आंसू बहाने में इतने व्यस्त थे की यह भी बताना भूल गये की आप को गुजराती क्यो वोट दे?
बस सिर्फ एक ही बात बोल रहे थे" गुजरात के बेटे का अपमान हो गया। बस कमल के निशान पर बटन दबा के ,बदला ले। लेकिन साहब गरीब को कोई इज्जत नही है क्या?
उसे तो बस विकास चाहिये।
राहुल गाँधी भी कम नही है?
पहले तो ़यह कहते नहीं थकते थे की" लोग मंदिर में लड़कियां छ़ेड़ने जाते है"
तो क्या अब राहुल बाबा भी यही करने जाते है। और तो और पहले कभी तो मंदिर याद नहीं आया। यह चुनाव आते ही कैसे आ जाती है मंदिर की याद। वो भी गुजरात के मंदिरो की!
क्या दिल्ली में मंदिर नहीं? पहले तो कभी मंदिर नहीं गये?
तो अब क्यो?
क्या तुम बस वोट के खातिर कुछ भी करने को तैयार हो जाते हो?
लोकतंत्र की मर्यादा को क्यो भूल जाते हो नेताजी?
दोस्तो इन सब बातो से क्या साबित होता है?
बस यही की नेताओ बस सत्ता-भोग से मतलब है!कैसे भी करके हड़पनी है। चाहे कुछ भी करना पड़े करेगे"
मतलब साफ है मित्रो की अपने देश की राजनीति बहुत ही घटीया दौर से गुजर रही है। देश हित की तो कोई बात भी नही करता।
केवल धर्म की ठेकेदारी के सिवा !
इस तरग से जनेउ से शुरू हुआ सत्ता हड़पने के लिए सिलसिला पहले चरण तक नीचता तक आके रूका है।
अगर मतदान और देरी से होता तो पता नहीं यह बड़बोले और सत्ता के भूखे नेताजी अपने शब्दो के बाणो से कहां तक पहुच जाते।
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Good
जवाब देंहटाएं,,,,
जवाब देंहटाएंhi
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