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आज की बड़ी खबरें : 07 अक्टूबर 2018

यदि आप राजस्थान सहित देश-विदेश की आज की ताजा खबर शॉर्ट में पढ़ना चाहते हो तो बिल्कुल सही जगह पर आए हो। तो पढ़िए आज की ताजा खबर...

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देश की बड़ी खबरें 

राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, मिजोरम और तेलंगाना में  विधानसभा चुनाव का मतदान नवम्बर-दिसम्बर में, पांचो राज्यों का 11 दिसम्बर को आएंगें नतीजे

क्रिकेट : भारत ने 272 रन से वेस्टइंडीज को हराया, टेस्ट सीरीज में 1-0 से बनाई बढ़त

तनुश्री बवाल : नाना पाटेकर ने फिर दिया बयान, कहा- 'जो झूठ हैं, झूठ ही हैं' | नाना पर शूटींग के दौरान यौन शोषण का लगा था आरोप 

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस गोगोई ने जताई चिंता, कहा- वकीलो-जजों की संख्या कम हैं | बार काउसिंल ऑफ इंडिया के इवेंट में कहीं बात

मायावती के बाद सपा के अखिलेश ने दिया कांग्रेस को झटका, बोले - गठबंधन के लिए कांग्रेस ने बड़ा इंतजार कराया | मध्यप्रदेश में सपा ने उतारे उम्मीदवार

विदेश की बड़ी खबरें

पाकिस्तान : भ्रष्टाचार के मामले में PMLN अध्यक्ष शाहबाज शरीफ को ACO ने किया अरेस्ट

अन्तरराष्ट्रीय पुलिस ऑर्गनाइजेशन के चीफ मेंग हॉन्गवेई चीन दौरे के बाद लापता, पत्नी ने फ्रांस में दर्ज कराई गुमशुदगी | फ्रांस पुलिस कर रही तलाश

राजस्थान की बड़ी खबरें

राजस्थान विधानसभा चुनाव : 7 दिसम्बर को वोंटिग, 11 दिसम्बर को आएगें नतीजे | कल चुनाव आयोग ने किया ऐलान, राज्य में आचार-सहिंता लागू

अजमेर : राजे की गौरव यात्रा समापन के मौकें पर गरजे PM मोदी, कहा - पुरे देश-वासी हमारी हाईकमान | कांग्रेस पर साधा निशाना

राजस्थान के किसानों का 1 साल तक 10 हजार तक बिजली बिल माफ, हर महीने किसान के खाता में आएगें 833 रूपए

भीलवाड़ा : धीरज गुर्जर के समर्थन आई महिला नेता, टावर पर चढ़ी | पहले से ही दो दिन से टावर पर बैठें हैं 8 छात्र

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डिग्री के दिन लदे, अब तो स्किल्स दिखाओं और जॉब पाओ

  भारत में बेरोजगारी के सबसे बड़े कारणों में प्रमुख कारण कार्य क्षेत्र के मुताबिक युवाओं में स्किल्स का भी नहीं होना है। साफ है कि कौशल को बढ़ाने के लिए खुद युवाओं को आगे आना होगा। क्योंकि इसका कोई टॉनिक नहीं है, जिसकी खुराक लेने पर कार्य कुशलता बढ़ जाए। स्कूल की पढ़ाई खत्म करने के बाद युवाओं को लगता है कि कॉलेज के बाद सीधे हाथ में जॉब होगी। ऐसे भ्रम में कॉलेज और यूनिवर्सिटी में पढ़ रहा हर दूसरा स्टूडेंट रहता है। आंखें तब खुलती है, जब कॉलेज की पढ़ाई खत्म होने के बाद बेरोजगारों की भीड़ में वो स्वत :  शामिल हो जाते है। क्योंकि बिना स्किल्स के कॉर्पोरेट जगत में कोई इंटरव्यू तक के लिए नहीं बुलाता है, जॉब ऑफर करना तो बहुत दूर की बात है। इंडियन एजुकेशन सिस्टम की सबसे बड़ी कमी- सिर्फ पुरानी प्रणाली से खिसा-पीटा पढ़ाया जाता है। प्रेक्टिकल पर फोकस बिल्कुल भी नहीं या फिर ना के बराबर होता है। और जिस तरीके से अभ्यास कराया जाता है, उसमें स्टूडेंट्स की दिलचस्पी भी उतनी नहीं होती। नतीजन, कोर्स का अध्ययन के मायनें सिर्फ कागजी डिग्री लेने के तक ही सीमित रह जाते है।   बेरोजगारों की भीड़ को कम करने के लि

राजनीति में पिसता हिंदू !

कांग्रेस की जयपुर रैली महंगाई पर थी, लेकिन राहुल गांधी ने बात हिंदू धर्म की. क्यों ? सब जानते है कि महंगाई इस वक्त ज्वलंत मुद्दा है. हर कोई परेशान है. इसलिए केंद्र की मोदी सरकार को घेरने के लिए कांग्रेस ने राष्ट्रव्यापी रैली के लिए राजस्थान को चुना. लेकिन बात जो होनी थी, वो हुई नहीं. जो नहीं होनी चाहिए थी, वो हुई. साफ है कि हिंदुस्तान की राजनीति में धर्म का चोली-दामन की तरह साथ नजर आ रहा है. भारतीय जनता पार्टी मुखर होकर हिंदू धर्म की बात करती है. अपने एजेंडे में हमेशा हिंदुत्व को रखती है. वहीं 12 दिसंबर को जयपुर में हुई कांग्रेस की महंगाई हटाओ रैली में राहुल के भाषण की शुरुआत ही हिंदुत्व से होती है. राहुल गांधी ने कहा कि गांधी हिंदू थे, गोडसे हिंदुत्ववादी थे. साथ ही खुलकर स्वीकर किय़ा वो हिंदू है लेकिन हिंदुत्ववादी नहीं है. यानी कांग्रेस की इस रैली ने एक नई बहस को जन्म दे दिया है. बहस है- हिंदू बनाम हिंदुत्ववादी. इस रैली का मकसद, महंगाई से त्रस्त जनता को राहत दिलाने के लिए सरकार पर दबाव बनाना था. महंगाई हटाने को लेकर अलख जगाने का था. लेकिन राहुल गांधी के भाषण का केंद्र बिंदु हिंदू ही रह

आधुनिकता की दौड़ में पीछे छूटते संस्कार

किसी भी देश के लिए मानव संसाधन सबसे अमूल्य हैं। लोगों से समाज बना हैं, और समाज से देश। लोगों की गतिविधियों का असर समाज और देश के विकास पर पड़ता हैं। इसलिए मानव के शरीरिक, मानसिक क्षमताओं के साथ ही संस्कारों का होना अहम हैं। संस्कारों से मानव अप्रत्यक्ष तौर पर अनुशासन के साथ कर्तव्य और नैतिकता को भी सीखता हैं। सबसे बड़ी दिक्कत यह हैं कि स्कूल और कॉलेजों में ये चीजें पाठ्यक्रम के रूप में शामिल ही नहीं हैं। ऊपर से भाग दौड़ भरी जिंदगी में अभिभावकों के पास भी इतना समय नहीं हैं कि वो बच्चों के साथ वक्त बिता सके। नतीजन, बच्चों में संस्कार की जगह, कई और जानकारियां ले रही हैं। नैतिक मूल्यों को जान ही नहीं पा रहे हैं।  संसार आधुनिकता की दौड़ में फिर से आदिमानव युग की तरफ बढ़ रहा हैं। क्योंकि आदिमानव भी सिर्फ भोगी थे। आज का समाज भी भोगवाद की तरफ अग्रसर हो रहा हैं। पिछले दस सालों की स्थिति का वर्तमान से तुलना करे तो सामाजिक बदलाव साफ तौर पर नज़र आयेगा। बदलाव कोई बुरी बात नहीं हैं। बदलाव के साथ संस्कारों का पीछे छुटना घातक हैं।  राजस्थान के एक जिले से आई खबर इसी घातकता को बताती हैं। आधुनिकता में प