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#संडे_कवर : कर्जमाफी बना वोटबैंक का हथियार

वोटबैंक भारतीय राजनीति में कोई नया शब्द नहीं हैं। आजादी के बाद कई दशकों से पार्टियां सत्ता हथियाने के लिए कई तरह से जुगाड़ और दांव-पेच लगाती रहीं हैं। जिसमें कभी सफलता मिल जाती हैं, और कभी निराशा भी। उसी में से एक हैं - वोटबैंक। उदाहरण के लिए अभी हाल ही में सम्पन्न हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी को तीन राज्यों में सत्ता हाथ लगी। इस जीत के पीछे के कारणों में से किसानों की कर्जमाफी भी एक अहम कारण माना जा रहा हैं।

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वोटबैंक क्या हैं?
वोटबैंक का संबंध समाज के उस वर्ग से हैं, जो किसी कारण वश (राजनैतिक/धार्मिक/जातिगत इत्यादि) राजनीतिक दल को जीताने में योगदान देते हैं। उसे वोटबैंक कहते हैं।
अब कर्जमाफी वोटबैंक का कारण बनती जा रही हैं। राजनीतिक दल किसान वर्ग को कर्जमाफी का लालच देकर वोट हथियाने का जुगाड़ बना रहे हैं।

कर्जमाफी का वादा कर गया काम
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष राहुल गांधी ने वादा किया था कि सरकार बनते ही 10 दिन के भीतर किसानों का कर्जमाफ कर दिया जाएगा। जिसके कारण कर्ज से जुझते किसान कांग्रेस के वोटबैंक बन गए। जब चुनावी नतीजें आए, तो पांच राज्यों (मध्यप्रदेश,राजस्थान,छत्तीसगढ़,मिजोरम और तेलगांना)  में से तीन राज्यों (राजस्थान,मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़) में बीजेपी को पटकनी देकर कांग्रेस ने सरकार बनाई। जिससे यह साबित कर दिया कि राहुल गांधी का वादा काम कर गया और कर्जमाफी अब एक वोटबैंक तौर पर भारतीय राजनीति में नया हथियार जुड़ गया।
विधानसभा चुनाव-2018 में मध्यप्रदेश,राजस्थान और छत्तीसगढ़ में सरकार बनने के दो दिन के भीतर कांग्रेस सरकार ने किसानो का कर्ज माफ किया। इस पर पार्टी अध्यक्ष खुद राहुल गांधी ने ट्वीट कर लिखा - "हमने 10 दिन में कर्जमाफी करने का वादा किया था लेकिन इसे दो दिन में कर दिखाया।"

कांग्रेस को देख, बीजेपी शासित राज्यों ने भी की कर्जमाफी
कांग्रेस शासित तीन राज्यों में कर्जमाफी के बाद आगामी चुनाव को मद्देनजर बीजेपी शासित राज्यों ने भी कांग्रेस की राह पर चलना शुरू कर दिया। क्योकि बाद में बीजेपी शासित राज्य गुजरात में मुख्यमंत्री विजय रूपाणी के नेतृत्व में किसानों का 625 करोड़ का कर्ज माफ किया गया। वहीं असम में 25 फीसदी किसानों का कर्ज माफ किया गया। जहां पर बीजेपी की सरकार हैं।
आपको बता यह भी दे कि उत्तरप्रदेश में बीजेपी की सरकार बनने के बाद 2017 में मुख्यमंत्री योगी आदित़्यनाथ ने करीब 30,729 करोड़ का कर्ज माफ किया था। वहीं महाराष्ट्र सरकार द्वारा कर्ज से जुझते 35 लाख किसानों की कर्जमाफी की गई, जहां पर बीजेपी की सरकार हैं। अभी चर्चा यह भी हैं कि 2019 के लोकसभा चुनाव को देखते हुए मोदी सरकार राष्ट्रीय स्तर पर किसानों को राहत देने की तैयारी में हैं, जिसका जल्द ही ऐलान होने वाला हैं।

जनहित मुद्दा यह हैं कि कर्जमाफी कोई स्थाई समाधान नहीं हैं। सत्ता की कुर्सी हासिल करने के लिए राजनीतिक दल कर्जमाफी को वोटबैंक के रूप में हथियार बना रहे हैं। जिसमें किसानों का हित बहुत कम, राजनीतिक दलों का हित कहीं ज्यादा नजर आ रहा हैं। कर्जमाफी से राज-कोष पर वित्तिय बोझ बढ़ता हैं। इससे अच्छा हैं कि सरकार स्थाई समाधान ढुढ़ें।
✍ अणदाराम बिश्नोई

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