सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

पटरी पर लौट आया प्याज !

200 रुपए से प्याज अब सस्ता हो गया है। जिसका असर रेहड़ी से लेकर होटल तक दिखने लगा है। याद कीजिए हाल ही के वो दिन, जब प्याज की जगह सलाद में खीरा और मूली परोसी गई। वाकई बहुत कठिन दौर रहा। खाने का स्वाद ही बिगाड़ दिया। खैर , अब स्थिति में सुधार हो रहा है। विदेश से प्याज का स्टॉक आने से राहत मिली है। प्याज की कीमत 50 से 60 रुपए तक देखने को मिल रही हैं।

प्याज का भाव, onion Price rate in India

प्याज क्यों हुआ सस्ता ? 

जब सितम्बर-नवंबर में प्याज की कीमतें आसमान छूने लगी, तो केंद्र सरकार ने आम जनता को राहत देने के लिए विदेशों से प्याज मंगाया। जिसका अब नतीजा यह है कि प्याज का स्टॉक ज्यादा हो गया है। क्योंकि भारत में प्याज की उपज भी मंडियों में आना शुरू हो गई हैं। जिसके चलते कृषि उपज मंडी में औसत थोक रेट करीब 20 से 25 रुपए प्रति किलो हो गई है। मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो, आने वाले वक्त में प्याज की कीमतों में और गिरावट होगी।

खाने का बढ़ा जायका, तो किसानों की बढ़ी चिंता

प्याज की कीमतों में गिरावट एक तरफ मध्यम वर्ग के लोगों के लिए राहत हैं, तो वहीं किसानों के माथे पर चिंता की नई लकीरें खींच दी है। किसानों को उम्मीद थी कि इस बार फसल की पैदावार में अच्छी आय होगी। लेकिन उपज मंडियों में घटते प्याज के दाम उल्टा संकेत दे रहे हैं। मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र में रोज मंडियों में करीब 500 बोरी प्याज की आवक हो रही हैं। प्याज की आवक का दौर लगातार जारी है। मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो, मंडियों में नवंबर में 80 से 90 रुपए तक प्रति किलो बिक रहा था। वहीं अब प्याज फरवरी में 20 से 25 रुपए प्रति किलो थोक में बिक रहा है।

 प्याज सस्ता होने से दूसरी तरफ शहरों में लोगों को राहत मिली है। जो प्याज पहले 200 रुपए में मिल रहा था, वही अब 50 रुपए प्रति किलो बाज़ार में मिल रहा है। फाइव स्टार होटल से लेकर रेहड़ी में मिलने वाले खाने तक का जायका बढ़ गया है। मूली की जगह सलाद में अब प्याज मिलने लगा है। हो सकता है, आपको वेटर्स से थोड़ा निवेदन करना पड़ सकता है।

आयातित बड़ी खेप का अब क्या होगा ?

आपको बता दे कि विदेशों से बड़ी संख्या में मंगाई गई प्याज आधी से ज्यादा धरी की धरी रह गई है। बंदरगाहों पर सड़ रही हैं। वजह है - खेप ज्यादा होना, देशी प्याज से स्वाद कम होना और देशी प्याज की आवक। जिसके कारण लोग पसन्द नहीं कर रहे हैं।  ऐसे में राज्य सरकारें बड़ी संख्या में आयातित प्याज की खेप को लेने की मूड में बिल्कुल नहीं है। प्याज भले ही एक बार पटरी पर लौट आया है। लेकिन अब सवाल , आखिर विदेशी प्याज की बड़ी खेप का क्या होगा ?

- अणदाराम बिश्नोई


(नई पोस्ट की सूचना के लिए Telegram पर Delhi TV सर्च कीजिए और जुड़िए)

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

राजनीति में पिसता हिंदू !

कांग्रेस की जयपुर रैली महंगाई पर थी, लेकिन राहुल गांधी ने बात हिंदू धर्म की. क्यों ? सब जानते है कि महंगाई इस वक्त ज्वलंत मुद्दा है. हर कोई परेशान है. इसलिए केंद्र की मोदी सरकार को घेरने के लिए कांग्रेस ने राष्ट्रव्यापी रैली के लिए राजस्थान को चुना. लेकिन बात जो होनी थी, वो हुई नहीं. जो नहीं होनी चाहिए थी, वो हुई. साफ है कि हिंदुस्तान की राजनीति में धर्म का चोली-दामन की तरह साथ नजर आ रहा है. भारतीय जनता पार्टी मुखर होकर हिंदू धर्म की बात करती है. अपने एजेंडे में हमेशा हिंदुत्व को रखती है. वहीं 12 दिसंबर को जयपुर में हुई कांग्रेस की महंगाई हटाओ रैली में राहुल के भाषण की शुरुआत ही हिंदुत्व से होती है. राहुल गांधी ने कहा कि गांधी हिंदू थे, गोडसे हिंदुत्ववादी थे. साथ ही खुलकर स्वीकर किय़ा वो हिंदू है लेकिन हिंदुत्ववादी नहीं है. यानी कांग्रेस की इस रैली ने एक नई बहस को जन्म दे दिया है. बहस है- हिंदू बनाम हिंदुत्ववादी. इस रैली का मकसद, महंगाई से त्रस्त जनता को राहत दिलाने के लिए सरकार पर दबाव बनाना था. महंगाई हटाने को लेकर अलख जगाने का था. लेकिन राहुल गांधी के भाषण का केंद्र बिंदु हिंदू ही रह...

डिग्री के दिन लदे, अब तो स्किल्स दिखाओं और जॉब पाओ

  भारत में बेरोजगारी के सबसे बड़े कारणों में प्रमुख कारण कार्य क्षेत्र के मुताबिक युवाओं में स्किल्स का भी नहीं होना है। साफ है कि कौशल को बढ़ाने के लिए खुद युवाओं को आगे आना होगा। क्योंकि इसका कोई टॉनिक नहीं है, जिसकी खुराक लेने पर कार्य कुशलता बढ़ जाए। स्कूल की पढ़ाई खत्म करने के बाद युवाओं को लगता है कि कॉलेज के बाद सीधे हाथ में जॉब होगी। ऐसे भ्रम में कॉलेज और यूनिवर्सिटी में पढ़ रहा हर दूसरा स्टूडेंट रहता है। आंखें तब खुलती है, जब कॉलेज की पढ़ाई खत्म होने के बाद बेरोजगारों की भीड़ में वो स्वत :  शामिल हो जाते है। क्योंकि बिना स्किल्स के कॉर्पोरेट जगत में कोई इंटरव्यू तक के लिए नहीं बुलाता है, जॉब ऑफर करना तो बहुत दूर की बात है। इंडियन एजुकेशन सिस्टम की सबसे बड़ी कमी- सिर्फ पुरानी प्रणाली से खिसा-पीटा पढ़ाया जाता है। प्रेक्टिकल पर फोकस बिल्कुल भी नहीं या फिर ना के बराबर होता है। और जिस तरीके से अभ्यास कराया जाता है, उसमें स्टूडेंट्स की दिलचस्पी भी उतनी नहीं होती। नतीजन, कोर्स का अध्ययन के मायनें सिर्फ कागजी डिग्री लेने के तक ही सीमित रह जाते है।   बेरोजगारों की भी...

गरीब युवाओं से आह्वान: बड़ा करना है तो शिक्षा बड़ा हथियार

भारत की आत्मा गांवों में निवास करती है, महात्मा गांधी के इस कथन का महत्व तब बढ़ जाता है. जब गांवों से टैलेंट बाहर निकलकर शहर के युवाओं को पछाड़ते हुए नए मुकाम हासिल करते है. ऐसी कहानियां उन लोगों के लिए प्रेरणा स्त्रोत बन जाती, जो पैदा तो भले ही गरीबी में हुए हो. लेकिन हौसलों से आसमान छूना चाहते है. यब बातें सुनने जितनी अच्छी लगती है, करके दिखाने में उतनी ही कठिनाइयों को सामना करना पड़ता है. सपनों को हकीकत में बदलने के लिए जुनून, धैर्य और लगन जरूरी है.   (P. C. - Shutterstock)  सोचिए एक गरीब परिवार में जन्मे युवा किन-किन कठिनाइयों से गुजरता होगा. गरीबी में पैदा होना किसी की गलती नहीं है. गरीबी में पैदा हुए युवाओं को शिक्षा से वंचित नहीं होना चाहिए. शिक्षा ही वो सबसे बड़ा हथियार है. जिससे गरीबी रेखा को लांघकर समाज कल्याण का काम कर सकते है. परिवार को ऊपर उठा सकते है. दुनिया के सबसे बड़े अमीरों में शुमार बिल गेट्स का यह वक्तव्य किसी प्रेरणा से कम नहीं है. बिल गेट्स कहते है कि  '' अगर गरीब पैदा हुए तो आपकी गलती नहीं, लेकिन गरीब मरते हो तो आपकी गलती है'' भारत में करीब 32 ...