अक्सर कहा जाता है कि जानकारी ही बचाव है, और जब बात महिलाओं के स्वास्थ्य की हो, तो सही जानकारी जीवनरक्षक साबित हो सकती है। इसी उद्देश्य के साथ, 26 और 27 नवंबर को सवाई माधोपुर के रणथंभौर में यूनिसेफ (UNICEF) और फ्यूचर सोसाइटी ग्रुप ने एक दो-दिवसीय मीडिया कार्यशाला का आयोजन किया। इस महामंथन में स्वास्थ्य विशेषज्ञों, वरिष्ठ पत्रकारों और शिक्षाविदों ने एक सुर में कहा— "सर्वाइकल कैंसर (गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर) लाइलाज नहीं है, बस हमें समय रहते जागना होगा ।" कार्यशाला की शुरुआत में डॉ. मनीषा चावला ने जो आंकड़े रखे, वे चौंकाने वाले हैं। भारत में ब्रेस्ट कैंसर के बाद सर्वाइकल कैंसर महिलाओं में होने वाला दूसरा सबसे आम कैंसर है। दुनिया भर में इस बीमारी से होने वाली कुल मौतों में से लगभग एक-तिहाई अकेले भारत में होती हैं। इसका सबसे बड़ा कारण जानकारी का अभाव और शर्म है, जिसके चलते महिलाएं डॉक्टर के पास तब पहुंचती हैं जब बहुत देर हो चुकी होती है। भारत में सर्वाइकल कैंसर की वजह से हर दिन लगभग 200 महिलाएं इस दुनिया को छोड़कर चली जाती है। यानी हमारे देश में हर 8 मिनट में एक महिला इस रोग के कार...
भारत में बेरोजगारी के सबसे बड़े कारणों में प्रमुख कारण कार्य क्षेत्र के मुताबिक युवाओं में स्किल्स का भी नहीं होना है। साफ है कि कौशल को बढ़ाने के लिए खुद युवाओं को आगे आना होगा। क्योंकि इसका कोई टॉनिक नहीं है, जिसकी खुराक लेने पर कार्य कुशलता बढ़ जाए। स्कूल की पढ़ाई खत्म करने के बाद युवाओं को लगता है कि कॉलेज के बाद सीधे हाथ में जॉब होगी। ऐसे भ्रम में कॉलेज और यूनिवर्सिटी में पढ़ रहा हर दूसरा स्टूडेंट रहता है। आंखें तब खुलती है, जब कॉलेज की पढ़ाई खत्म होने के बाद बेरोजगारों की भीड़ में वो स्वत : शामिल हो जाते है। क्योंकि बिना स्किल्स के कॉर्पोरेट जगत में कोई इंटरव्यू तक के लिए नहीं बुलाता है, जॉब ऑफर करना तो बहुत दूर की बात है। इंडियन एजुकेशन सिस्टम की सबसे बड़ी कमी- सिर्फ पुरानी प्रणाली से खिसा-पीटा पढ़ाया जाता है। प्रेक्टिकल पर फोकस बिल्कुल भी नहीं या फिर ना के बराबर होता है। और जिस तरीके से अभ्यास कराया जाता है, उसमें स्टूडेंट्स की दिलचस्पी भी उतनी नहीं होती। नतीजन, कोर्स का अध्ययन के मायनें सिर्फ कागजी डिग्री लेने के तक ही सीमित रह जाते है। बेरोजगारों की भी...