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लघु कहानी : दबंग महिला

 लघु कहानी पढ़ने के तलाश में हो तो आप एकदम सही जगह पर आएं हो। यहां एक लघु कथा 'दबंग महिला' हैं। पढ़िए और आनन्द उठाइएं - 

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बस पुरी तरह से खच्चा-खच्च भरी हुई थी। जितने यात्री सीट पर बैठें थे, उससे कही ज्यादा यात्री पैरों पर खड़े थें। मै भी जैसे-तैसे पैर रखने की जगह बनाकर डंडे के सहारे खड़ा था। इतने में मेरी नजर एक ह्रष्ठ-पुष्ठ महिला  पर पड़ी। वह भी मेरे से थोड़ी-सी दुर एक हाथ से डंडा तथा दुसरे हाथ से थैंला पकड़े खड़ी थी। उसके चेहरें पर एक अजीब-सा भाव झलक रहा था, जैसे कोई परेशान हो। प्रथम दृष्टया  पहनावा व कद-काठी से पंजाबी लग रही थी। काफी उम्र-दराज होने पर भी गठीले बदन पर हल्का गुलाबी रंग का सलवार-सूट खुब फ़ब रहा था।

इतने में पीछे के दरवाजा से भीड़ का रैला आ पड़ा। धक्का-मुक्की से असहज होने पर  'जेब कतरों से सावधान'  वालें पोस्टर ने मेरा ध्यान मेरी जेंब की ओर खींचा। बारी-बारी से एक हाथ से दोनों जेंबो को खंगाला। पर्स और मोबाइल को यथास्थिति पर पाकर ऐसा लगा, जैसे  मैनें कोई रण जीत लिया हो। मेरा ध्यान फिर उस महिला की तरफ गया। इस बार वह एक नौंजवान से कुछ बड़-बड़ा रही थी। बीच-बीच में जब भी मेरी नजर उस नौंजवान पर गई , उसे सीट पर सोया हुआ ही पाया।

इस बार उस महिला के मुंह से जोर से आवाज गुंजी- "लैडिज सीट पर कब से सो रहा हैं, शर्म नहीं आती... सोना हैं तो घर पे जाके सोवों"
ऐसा लगा मानो वह भीड़ से होने वाली परेशानी का सारा खींझ इस नौंजवान पर निकाल रही हो। यह सब सुनते ही बेचारा नौंजवान  चुप-चाप सीट से खड़ा हो गया। आस-पास के लोंग सब इधर-उधर मुंह ताकने लगे और एक-दुसरें से फुसफुस्साने लगे। हालांकि वह नौंजवान, महिला सीट पर नहीं बैठा था।  उस सीट के आस-पास सारे पुरूष ही बैठें थे। लेकिन उस महिला को पता नहीं क्यों वो एक नौंजवान ही दिखा। महिला सीट पर बैठ चूकी थी।

आप को यह लघु कहानी कैसीं लगी, अपना कीमती समय निकालकर कॉमेंट कर जरूर बताएं। इससे मूझे यह तय करने में आसानी रहेगी की कहानी कैसी थी और आप क्या पढ़ना चाहता हैं। और सबसे बड़ी बात दोस्त ! मेरी यह पहली कहानी हैं। इसलिए आपका फीडबैक मेरे लिए बहुत ही मुल्यावान हैं। अच्छा/बुरा सुझाव जो भी हो कृपया जरूर दीजिए, मूझे आपके कॉमेंट का बेसब्री से इंतजार हैं।
✍ अणदाराम बिश्नोई


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टिप्पणियाँ

  1. बहुत अच्छा प्रयास है आप वास्तव में बहुत मेहनत करते है

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