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जब जीना ही है तो उदास होकर क्यों

जिंदगी जीने का बहाना किसको नहीं चाहिेए. दिनभर की भागम-भाग के बीच हर कोई लाइफ में फुर्सत का पल खोजना चाहता है. जिसमें समा जाना चाहता है. जहां खुद को पा सके, महसूस कर सके, अपने आप को जान सके और हालात को देख सके. ये तभी संभव होगा, जब हम खुद के लिए वक्त निकालेंगे. P.C.- Internet जो अच्छा लगे उस पर ध्यान कीजिए. उम्मीद भऱी निगाहें आसमान पर डालिए. ऊंचाइयों को छूने का सपना देखिए. उसकी तस्वीर भी देख लिजिए, जो आपको सुकून देती हो.  क्योंकि इतना निरस बनकर लाइफ को यूं ही निकालने का कोई मतलब नहीं है .  जरा गौर किजिए, हम सब की मंजिल मौत है. ये ही दुनिया का सबसे बड़ा सच है. फिर हम क्यों इतने परेशान होते है ? जिस दिन आपने धरती पर पहला कदम रखा. उस वक्त आप क्या साथ लेकर आए. कुछ नहीं ना. फिर इतनी उदासी क्यों ? थोड़ा मुस्कराइए, गुलाब के फूलों की तरफ लाइफ में खुशी की महक लाइए. आप सोच रहे होंगे कि ये संभव कैसे है, जब आगे-पीछे इतनी परेशानी खड़ी हो. बताता हूं, ऐसे संभव है. देखिए, एक दिन हम सबकों इस दुनिया को अलविदा कहना है. कोई जल्दी जाएगा तो कोई बाद में. कौन कितना जिएगा पता नहीं है. लेकिन ये जरूर मालूम है कि