गुजरात में NDTV को केबल ऑपरेटरो द्वारा बैन करने की काना-फुसी सोशल मीडिया पर हो रही है। अब यह कितना सच है और कितना झुठ? वो तो राम ही जाने। परन्तु कहते है ना कि बिना माँस के गंध नही आती है। यही बात यहां लागु होती है,कुछ हुये बिना तो बात एसे ही चल नही सकती । ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। कई बार NDTV के साथ हो चुका है। सच कह तो यह सब अपने लिए मीडिया खुद ही पहले से खाई खोद रही है। आजादी को खुद गंवा रही है। राजनेता के पैसे लेकर उसके गुणगान करती है। तो फिर दुसरो को दोष क्यो दे रहे हो । आप खुद आजादी चाहते ही नहीं। आप तो बस दौलत चाहते है। मीडिया का मुख्या काम जनता की आवाज को सरकार तक पहुंचाना और सरकार की आवाज को जनता तक पहुंचाना हैं। यानी सरकार व जनता के बीच मीडिया एक तार के भाती कार्य करता हैं। साथ ही साथ सच दिखा के सरकार को व जनता को जगाना हैं। लेकिन अब तो बस एक तरफा गुणगान करना ही काम रह गया है भारतीय मीडिया का। दिखावे तो काफी करते है परन्तु अन्दर से सब खोखले है। न्युज चैनलो में काम करने वाले पत्रकार खुद शोषित होते है। परन्तु दुसरो के लिए सुरक्षा की पंचायती करते नही थकते । भाई पहले खुद तो स
अणदाराम बिश्नोई का ब्लॉग