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कुरीतियों और शिक्षा के बीच पिसता ग्रामीण युवा

 शिक्षा के बोध से भय खत्म होता है। लेकिन ग्रामीण इलाकों से आने वाले युवक-युवतियों के सामने शिक्षा डर पैदा कर रही हैं।  डर हैं- समाज में पहले से मौजूद रूढ़वादी परम्पराओं से लड़ना। समाज के तथाकथित पंच-पटलों और ठेकेदारों का सामना करना। कहने को तो ये पंच-पटेल, अपने आप को समाज के रक्षक के तौर पर प्रदर्शित करते हैं। लेकिन हकीकत कुछ और हैं।  समाज कल्याण ये हैं कि हर शख्स के अधिकारों की रक्षा हो सके। आजाद फैसले अपने हित में ले सके। किसी समाज में अगर हर शख्स अपने हितों की रक्षा के लिए संघर्षरत नहीं है,  तो इसका मतलब ये हैं कि समाज उत्थान का काम हो रहा हैं। संघर्ष वहां करना पड़ता हैं, जहां अहित और अन्याय की बात होती हैं।  जब भी कोई नई शुरुआत होती हैं तो इसे जाने बिना लोग विरोध प्रदर्शन पर उतर आते हैं। उसे गलत नज़रिए से देखते हैं। ये लोग कोई और नहीं, बल्कि समाज के तथाकथित पंच-पटेल ही हैं।  शिक्षा हमेशा बदलाव लाने की पैरवी करती हैं। कुरीतियों से लड़ने के लिए आवाज उठाती हैं। लेकिन पंच-पटेल चाहते हैं ये   कुरीतियां जारी रहे ताकि उनकी "दुकानदारी" चलती रहें।  कम शिक्षित ग्रामीण इलाकों खासकर

राजनीति में पिसता हिंदू !

कांग्रेस की जयपुर रैली महंगाई पर थी, लेकिन राहुल गांधी ने बात हिंदू धर्म की. क्यों ? सब जानते है कि महंगाई इस वक्त ज्वलंत मुद्दा है. हर कोई परेशान है. इसलिए केंद्र की मोदी सरकार को घेरने के लिए कांग्रेस ने राष्ट्रव्यापी रैली के लिए राजस्थान को चुना. लेकिन बात जो होनी थी, वो हुई नहीं. जो नहीं होनी चाहिए थी, वो हुई. साफ है कि हिंदुस्तान की राजनीति में धर्म का चोली-दामन की तरह साथ नजर आ रहा है. भारतीय जनता पार्टी मुखर होकर हिंदू धर्म की बात करती है. अपने एजेंडे में हमेशा हिंदुत्व को रखती है. वहीं 12 दिसंबर को जयपुर में हुई कांग्रेस की महंगाई हटाओ रैली में राहुल के भाषण की शुरुआत ही हिंदुत्व से होती है. राहुल गांधी ने कहा कि गांधी हिंदू थे, गोडसे हिंदुत्ववादी थे. साथ ही खुलकर स्वीकर किय़ा वो हिंदू है लेकिन हिंदुत्ववादी नहीं है. यानी कांग्रेस की इस रैली ने एक नई बहस को जन्म दे दिया है. बहस है- हिंदू बनाम हिंदुत्ववादी. इस रैली का मकसद, महंगाई से त्रस्त जनता को राहत दिलाने के लिए सरकार पर दबाव बनाना था. महंगाई हटाने को लेकर अलख जगाने का था. लेकिन राहुल गांधी के भाषण का केंद्र बिंदु हिंदू ही रह