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आखिर कौन है यह बिश्नोई समाज, जिसने सलमान को खिलाई जेल की हवा

सलमान को 20 साल तक मुंबई से जोधपुर तक घसीटने में बिश्नोई समाज की अहम् भूमिका रही हैं। परन्तु पहले यह तो जान लो की आखिर यह समाज हैं कौन ?  राजस्थान के मरूस्थल में अगर आपको कहीं चिंकारा ( हिरण) दिखता है , समझ लेना आप बिश्नोईयो के गढ़ मे प्रवेश कर चुके हो। मै ऐसा इसलिए लिख रहा हुँ, क्योकि बिश्नोई ही एकमात्र ऐसा समाज है जो चिंकारा व वन्य जीवों का शिकार नहीं करता हैं और उन्हे संरक्षण देता हैं। बिश्नोई समाज के लोग इनकी रक्षा के लिए अपनी जान तक देनो को तत्पर रहते हैं। इनके कई उदाहरण आज की तारीख में मौजुद है,जिसमें बिश्नोई युवको ने शिकारीयो से वन्य जीवो को बचाने के प्रयास मे खुद गोली खाई। कैसे हुआ बिश्नोई समाज का उद्भव आज से करीब साढ़े पाँच सौ साल पहले राजस्थान के बीकानेर जिले के समराथल नामक रेत के धोरे (बालु स्तुंभ) पर गुरू जंभेश्वर महाराज ( जिसे विष्णु भगवान का अवतार माना जाता हैं ) ने अभिमंत्रित पवित्र पाहल ( मंत्रित पानी) पिलाकर अपने कुछ शिष्यो को जीवन जीने का नया पथ(रास्ता) दिखा कर बिश्नोई पंथ (समाज/संप्रदाय)  की स्थापना की थी। साथ में शिष्यो को 29 नियम बताये। बिश...

यह कैसी उल्टी गंगा , महारानी का महाप्रकोप

मोदी जी ने कहा था कि न तो खाने दुगा ओर न खाउगा लेकिन मोदी  पार्टी की सरकार राजस्थान में एक नये बिल लाने की पेशकस के कारण बीजेपी निशाने पर है। क्योकी राजस्थान की मुख्यामंत्री वंसुधरा राजे के नये बिल में एसे नियम है की सरकार के बिना अनुमति के सरकारी कर्मचारियो के खिलाफ मुकदमा नहीं किया जा सकता है। सरकार इसके लाने फायदा यह बता रही है कि बिना वजह से सरकारी कर्मचारियो तंगी के शिकार न हो। सोचने योग्य बात यह है की सरकारी नौकरशाहो से आम आदमी परेशान है ,न की आम आदमी उन्हे परेशान करते है। तो फिर क्या औचित्य है सरकार का??? इस तरह के कानुन लाकर । यह वही उल्टी "गँगा बहाने वाली" बात हो गई । महारानी जी असल मे ही आप जाते समय  अपना महाप्रकोप दिखानेे चाहती हो तो, भ्रष्ट्र अफसरो के खिलाफ कार्यवाही करे, रोजगार के तोहफे दे दीजिएगा। ताकी हम जैसे युवा वर्ग भी खुश हो जायेगा। लेकिन आप के इस कानुन के आने से तो भ्रष्ट्राचार करने को संरक्षण मिलेगा। वैसे भी 2005 की एक अन्तराष्ट्रीय संस्था ( भ्रष्ट्राचार पर निगरानी रखने वाली ) के अनुसार अपने देश का में 62℅ व्यक्तियो सरकारी कार्यो के दौरान नौकरशाहो ...

Delhi TV पत्रकारिता की नई उड़ान,सावधान हो जाए कानून विरोधी

आज देश की पत्रकारिता बिमारी सी हो गई है। लगता है उसे ठीक करना जरूरी है। क्योकी यह देश के लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ जो है। सही मायने में देखा जाये तो अखबार व टेलिविजन खुद कुपोषण के शिकार हो रहै। बिना पोषण के तो कोई कब तक मौत व जीवन के बीच जूझता रहेगा। एक दिन तो अन्त हो जायेगा  यदि लगातार कुपोषण से जुझते रहे तो। यहां तक तो ठीक है की बिना पोषण के तो पत्रकारिता आज की इस मंहगाई व दिखावेपन के दौर में करना नामुमकिन है। पहले जैसे आज वो सारे एक जैसे पत्रकार नही रहे ,जो....अपनी जान भी गवाने को तैयार रहते थे।                   लेकिन कुछ अभी भी,  हमारी (Delhi TV) तरह देश व कानुन विरोधी गतिविधियो को देखकर सीने मे धंधकती क्रांतिकारी आग के कारण रोक नहीं पाते है। सीधे भ्रष्ट्राचारीयो की पोल खोल देते है। दु:ख बात यह है की एसी पत्रकारिता विरले ही बची है। क्योकी उन्हे पोषण जो चाहिए। लेकिन मैने पहले लिखा है की बिना पोषण के अखबार व टीवी जीवित कैसे रहेगा। यह पोषण सही दिशा से आना चाहिए जैसे एड, चन्दा, ईत्यादि। लेकिन हम आप से वादा करते है की ईमानदारी स...