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अच्छे दिन को तरसता किसान


कृषि  को देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ माना जाता हैं,इस तरह की जुमले बाजी करके नेतागण वोट बँटोरने में कामयाब तो हो जाते हैं। परन्तु शुरूआत से ही छोटे,गरीब व मंझोले किसानो को दर-दर  कई समस्याओ से सामना करना पड़ रहा हैं।सरकार के द्वारा किसान-हित में की गई घोषणा-बाजी  की  कमि नहीं हैं, कमि है तो जमीनी स्तर के काम की  । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के द्वारा चलाई गई ' प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना'  भी कोई खास असर नही दिखा पाई,उल्टे किसानो को लुट कर प्राईवेट बीमा कंपनियो को लाभ पहुचाया गया। किसानो को बीमा कवर के रूप में छत्तीसगढ़ में किसी को 20 रूपये तो किसी को 25 रूपये के चैंक बांटे गये।
  वही हरियाणा के किसानो ने सरकार पर आरोप लगाया कि फसल बीमा योजना के नाम पर बिना बतायें ,किसानो के खाते से 2000 से 2500 रूपये तक काटे गये। लेकिन वापस मिले 20-25 रूपये । फसल की उपज लागत ,फसल की आय सें अधिक होती हैं। जिसके कारण दो वक्त की रोटी पाना भी मुश्किल होता हैं।
राजस्थान के जोधपुर जिले के रणीसर ग्राम  में रहने वाले किसान सुखराम मांजू  बताते है, "पिछली बार जीरें की फसल खराब मौंसम की वजह से खराब हो गई। मैने सुदखोर से उधार लेकर बुवाई की थी। फसल खराब होने से अभी तक मै यह कर्ज नहीं चुका पाया हुँ। "
यह हालत अकेले सुखराम के नहीं हैं,इस तरह से देश-भर में कई किसान सुदखोरो से मोटी ब्याज दर पर कर्ज लेकर बुवाई करते हैं। परन्तु मौसम की मार पड़ने से फसल खराब होती है तो उनकी सारी उम्मीदो पर पानी फिर जाता हैं। हमेशा के लिए कर्ज के चक्कर में फँस जाते है। धन का अभाव होने के कारण केवल ब्याज  ही चुका पाते हैं।
 कभी-कभार सुदखोर उन्हे बहुत परेशान करते हैं और जिसके कारण किसान तनावग्रस्त होकर खुदकुशी को मजबुर हो जाते हैं।साल 2013 के सरकारी आकड़े के मुताबिक भारत में हर साल 12000 किसान खुदकुशी कर रहे हैं। जो कि बेहद डरावना हैं। इस तरह से खेती घाटे का सौंदा बनता जा रही हैं।

सरकार ने किसानो को फसल का उचित मूल्य दिलवाने के लिए सन् 1965 में 'कृषि मूल्य आयोग' बनाकर न्युनतम सर्मथन मूल्य (MSP)  तय किया। 20 साल बाद सन् 1985 इस आयेग का नाम 'कृषि मूल्य लागत आयोग' कर दिया। न्युनतम समर्थन मुल्य ,सरकार द्वारा फसलो को बाजार में बेचने के लिए तय कि गई कम से कम कीमत हैं। यानी इससे कम कीमत पर व्यापारी वर्ग, किसानो की फसल नहीं ले सकते हैं। परन्तु MSP मंहगाई कि तुलना में बढ़ता ही नही हैं।
    पिछले 10 सालो पर नजर डाले तो पता चलता है कि गैंहु की सरकारी कीमत (MSP) तकरीबन 60 से 70 प्रतिशत  व गन्ने की कीमत तकरीबन 80 प्रतिशत बढ़ी। जबकि सरकारी हुंकुमरानो व कर्मचारियो के वेतन भत्ते में 150 से 200 प्रतिशत तथा सांसदो के वेतन भत्तो में भारी इजाफा हुआ हैं। और हाल हीं के बजट 2018 के अनुसार सांसदो के वेतन हर पांच साल में मुद्रास्फीति के अनुसार बढ़ जायेगे।लेकिन किसाने के लिए सिर्फ खरीफ़ की फसल की MSP पहले से डेढ़ गुना की हैं।
फलौदी तहसील के ननेउ ग्रामवासी किसान कमरूद्दीन कलर बताते हैं, "इस बार मैने पिछले साल की तुलना में ज्यादा फसल बोई है तथा फसल अच्छी हैं ।मुझे लगता है पैदावार अच्छी होगी।  खुदा की कृपा रही तो कुछ कर्ज उतर जायेगा।परन्तु मुझे मौसम का डर सता रहा हैं। कहीं पिछली बार की तरह खराब न हो जाये।"
मौसम की वजह फसल खराब होने की चिता ,किसान के माथे पर हमेशा रहती है,जिस तरह से कमरूद्दीन को हैं।
        वहीं इसी तहसील के चाण्डी ग्रामवासी किसान पुत्र सागर सियाग कहते हैं, "फसल खराब होने से पर हम किसानो को  मुआवजा के लिए सरकारी दफ्तरो के कई चक्कर काटने पड़ते हैं और मुआवजा समय पर नहीं मिलता हैं।"
इसी तरह के हाल मध्यप्रदेश  में देखने को मिले। किसानो को फसल बीमा योजना के नाम पर ठगा गया। इस तरह की अनेको समस्या से जूझते  किसान  अब फसल बौने से कतरा रहे हैं।
ताजा सरकारी  आंकड़ो के मुताबिक भारत-भर में गैहु की फसल बौने का क्षेत्रफल  साल 2013 - 14 में कुल 304.73 लाख हैक्टेयर था। जो साल 2015-16 में घटकर 302.72 लाख हैक्टेयर रह गया। इतना ही नही धान का क्षेत्रफल 441.36 लाख हैक्टेयर से घटकर 433.88 हैक्टेयर हो गया हैं। कोई भी किसान अब यह नही चाहता है कि उसका बेटा भी किसान बनें।
कुल- मिलाकर किसानो की हालत बदतर होती जा रही हैं। जिसे हम अन्नदाता कह रहे हैं,वह खुद मजबुरियो के कारण भूखा रह रहा हैं। सरकारे आती है,जाती हैं परन्तु किसान के लिए नेताजी के वादे केवल जूमले ही निकल रहे हैं । हाल ही बजट में वित्त मंत्री अरूण जेटली ने साल 2022 तक किसानो की वर्तमान आय दौगुनी करने का लक्ष्य रखा हैं। एक बार फिर किसानो को 2019 चुनाव के लिए वोट बैंक समझ कर यह नया वादा किया। हांलाकि विपक्ष कह रही है वर्तमान की स्थिति को देखते यह वादा भी जुमला ही निकलेगा।
- अणदाराम बिश्नोई 'पत्रकारिता विद्यार्थी'
लेखक व संपादक, delhitv.in
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