"नजरिया- एक युवा सोच" जैसा कि शीर्षक से ही स्पष्ट होता है कि लेखक के मन में क्या है? पुस्तक के बारे में कुछ कहने से पहले मैं यह कहना चाहता हूं कि भविष्य युवाओं का ही है। जिस देश में युवा ताकतवर होंगे, वह देश ताकतवर होगा। आज राजनीतिक दृष्टि से देखा जाए तो प्राय: सभी राजनीति दल भी इसी राह पर चल रहे हैं और युवाओं का आगे कर रहे हैं। हमारे देश में भी युवाओं की अच्छी खासी आबादी है। युवाओं में असीम ऊर्जा होती है। वह कुछ भी कर गुजरने में सक्षम होते हैं। जिसने भी युवाओं को पहचान लिया, समझो उसने भविष्य पहचान लिया। इसके बावजूद आज युवाओं के लिए बहुत कुछ करने की जरूरत है। सरकार की नीतियां भी युवाओं का केन्द्र में रखकर बनती हैं। युवा पीढ़ी ताकतवर रहेगी तो हम ताकतवर रहेंगे। युवा शिक्षित होंगे तो देश शिक्षित होगा। युवाओं के कंधे पर ही सब कुछ टिका है।
लेखक अंकित कुंवर स्वयं एक युवा हैं और जाहिर है कि उन्होंने इस सोच को जागरूक करने के लिए अपने लेखों का ताना-बाना बुना है। चार खंडों में विभक्त इस संग्रह में लेखक ने अपने लेखों को शामिल किया है। इन लेखों में समाज में फैली विसंगतियों को जहां रेखांकित किया गया है, वहीं एक राह दिखाने का भी प्रयास किया गया है।
पहला खंड : समसामयिक विषय
पहले खंड में विश्व में हिंदी की दशा और दिशा में यह प्रयास किया गया है कि युवा वर्ग को बताया जाए कि हिंदी अब ऐसी भाषा नहीं रही कि किसी देश में उसे गंभीरता से न लिया जाए। अब हिंदी को महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इसी खंड में जहां सप्तक के सिद्ध कवि के बारे में युवा पीढ़ी को बताने का प्रयास किया गया है, वहीं जम्मू-कश्मीर की अनूठी संस्कृति को भी रेखांकित किया गया है। भारत की विदेश नीति में भारत-इजरायल के संबंधों का उल्लेख करते हुए यह अवगत कराने का प्रयास लेखक ने किया है कि युवा पीढ़ी को अपने देश की विदेश नीति से भी अवगत रहना चाहिए।
दूसरा खंड : राजनीतिक परिदृश्य
दूसरे खंड में राजनीति में हो रहे बदलाव, संविधान के अनुच्छेद ३५-ए, कामयाबी के शिखर पर मोदी लहर, दलित समुदाय और संसद की गरिमा को रेखांकित करते हुए यह बताने का प्रयास किया गया है कि युवा पीढ़ी को अपने देश के बारे में जानकारी रखनी ही चाहिए।
तीसरा खंड : मुद्दों पर आधारित
तीसरे खंड में देश के सामने खड़े मुद्दों को रेखांकित किया गया है। देश के सामने बहुत सारे मुद्दे हैं। इसमें भ्रष्टाचार, भुखमरी, जलवायु, सृष्टि के लिए आवश्यक लैंगिक असमानता की बढ़ती खाई, जल संरक्षण ओर किसानों की समस्याओं को रेखांकित किया गया है।
चौथा खंड : व्यंग्यात्मक निबंध
चौथे खंड में अपने व्यंग्य लेखों के माध्यम से संग्रह में गंभीरता को हल्का करने का प्रयास किया गया और सामाजिक मुद्दों को हलके-फुलके ढंग से पाठकों के समक्ष प्रस्तुत किया गया हैॅ।
कौन हैं अंकित कुंवर
लेखक अंकित कुंवर पिछले काफी वक्त से देश के विभिन्न समाचार पत्रों तथा पत्रिकाओं में लिखते रहे हैं। उनका नाम नया नहीं है लेकिन उनका प्रयास नया है और माना जा सकता है कि नई पीढ़ी इस संग्रह में कुछ नया पाएगी।
पूर्व राष्ट्रपति द्वारा पुस्तक का लोकार्पण
गौरतलब है अंकित कुंवर द्वारा लिखित पुस्तक का विमोचन शुक्रवार को भारत के पूर्व राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी द्वारा किया गया। पुस्तक विमोचन के अवसर पर माननीय प्रणब मुखर्जी ने उन्हें मुद्दों पर आधारित पुस्तक लेखन हेतु शुभकामनाएं दीं एवं लेखन को निरंतर जारी रखने के लिए प्रेरणा दी। इस पुस्तक विमोचन से पहले युवा लेखक अंकित कुंवर अपनी पुस्तक 'नज़रिया एक युवा सोच' की पहली प्रति श्री लालकृष्ण आडवाणी जी को भेंट कर चुके हैं।
आप इस पुस्तक के ऐमज़ॉन से ऑनलाइन खरीद सकते हो।
(लेखक अपनी नई पुस्तक को रिव्यू के लिए DelhiTV.in को भेज सकते हैं। इसके लिए DelhiTV.in कोई शुल्क नहीं लेता हैं। ज्यादा जानकारी के लिए मेल - jambhsnehi@gmail.com)
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें
Thanks to Visit Us & Comment. We alwayas care your suggations. Do't forget Subscribe Us.
Thanks
- Andaram Bishnoi, Founder, Delhi TV