पूर्व प्रधानमंत्री (पीएम) डॉ. मनमोहन सिंह पर बनी, अनुपम खेर की फिल्म 'द एक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर' 11 जनवरी को रिलीज होगी। भारत के इतिहास में यह पहली सियासी फिल्म हैं, जो राजनेता पर बनी हैं। लेकिन अब लग रहा है कि सिनेमा से सियासी जंग का युग शुरू होने जा रहा हैं। क्योकि कांग्रेस खेम्में से मोदी पर फिल्म बनाने के लिए मंथन चलने की खबर आ रही हैं।
Poster of 'The Accidental Prime Minister' |
पंजाब में 'द एक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर पर बैन का कयास थम गया हैं। साथ ही अमृतसर पश्चिम से कांग्रेस विधायक राजकुमार वेरका ने प्रधानमंत्री पर फिल्म बनाने की बात कही है। वहीं चर्चा यह भी चल रही है कि मुबंई कांग्रेस इकाई के दिग्गज नेता फिल्म-निर्माताओं के सम्पर्क में हैं। जल्द ही लोकसभा चुनाव के ऐन मौकें पर मोदी पर वार करने के लिए फिल्म रिलीज कर दी जाएगी। हांलाकि फिल्म के नाम को लेकर कई कयास लगाएं जा रहे हैं। कांग्रेसी समर्थक सोशल मीडिया पर मोदी पर तंज कसते हुए कई तरह नाम सुझाकर, सिनेमा-सियासी मुद्दें को हवा देने की कोशिश करते दिख रहे हैं। 'चौकीदार चोर' से लेकर 'झूठ का बादशाह' तक कई नाम कांग्रेसियों में चर्चा की विषय बना हुआ हैं। लेकिन 'जुमलेबाज' नाम सबसे टॉप पर चल हैं, जो सबसे ज्यादा सुझाया जा रहा हैं।
यह हैं विवाद
'द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर' फिल्म संजय बारू कि किताब पर आधारित हैं। संजय बारू यूपीए की सरकार के समय पीएम डॉ. मनमोहन के मीडिया सलाहाकार रहे थे। इस फिल्म के ट्रेलर से ही साफ तौर से झलक रहा हैं कि यूपीए सरकार अंदर क्या चल रहा था और पीएम के तौर पर डॉ. मनमोहन सिंह क्या करना चाहते थे और किस तरीके पीएम की भूमिका निभा रहे थे; यह सब इस फिल्म में दिखाया गया हैं। स्वभाविक हैं कौनसी ऐसी पार्टी होगी ,जो अपने कार्यकाल की अंदर बात को पब्लिक डोमेन में आने देगीं। इसलिए कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं द्वारा शुरूआत में विरोध के सुर सुनाई दिए। कई कांग्रेसी नेताओं ने विरोधी बयान दिए और कहा- लोकसभा चुनाव को देखते हुए यह फिल्म बीजेपी का प्रोपैगेंडा हैं।
वहीं बीजेपी नेताओं/प्रवक्ताओं नें इन बातों को नकार दिया। फिलहाल मोदी पर फिल्म बनाने की बात को हवा देकर कांग्रेसियों का विरोध शांत पड़ता नजर आ रहा हैं।
जनहित मुद्दा यह है कि आखिर सियासत समय के साथ किस तरह बदल रही हैं। शायद ही किसी ने सोचा होगा ! हिन्दू-मुस्लिम, सांप्रदायिकता, फेंक न्यूज/सोशल-मीडिया से सिनेमा तक पहुंच जायेगी। जनता को इस नब्ज को बड़े ही ध्यान से पकड़ते हुए इन तमाम चीजों को समझना होगा, कि कौन कितना ठीक हैं तथा कौन कितना गलत। दुसरा पहलू यह भी हैं, पहले तो सिर्फ मीडिया और लेखकों पर ही राजनीति झुकाव का धब्बा लगता रहा हैं। लेकिन अब सिनेमा-जगत के हीरो-हीरोइन, निर्देशक-निर्माता भी इसमें शामिल हो जाएगें।
फिलहाल अब आगे यह देखना बड़ा ही दिलचस्प होगा कि मोदी पर फिल्म बनाकर किस तरह पलटवार करती हैं।
✍ अणदाराम बिश्नोई
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