राहिल ने इसी साल 12वीं जमात की पढ़ाई पुरी की हैं। पिछले 2 साल में उन्होने कई सारे एप्प बनाएं। यह कार्य अभी भी रूका नहीं हैं। ग्रामीण परिवेश के होने से शुरूआत में कई सारी परेशानियों का सामना करना पड़ा। कम्प्यूटर की भाषा नहीं आती थीं। Youtube से यह सब सीखकर अपनी मेहनत की कहानी खुद लिखी हैं
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फोटो • छात्र राहिल मोहम्मद |
राहिल बताते है "मैने यह काम तब शुरू किया, जब 10th के बाद 11th में आया। ग्रामीण पृष्ठभूमि होने से एप्प कैसे बनाते यह सब मूझे बिल्कुल मालूम नहीं था। Google और Youtube का सहारा लेकर यह सब सीखा। पहला एप्प हिंदी व्याकरण का बनाया। लेकिन Google Play Store पर एप्प पब्लिश करने के लिए एकाउंट बनाने के लिए हजारों रूपए की जरूरत होती हैं। जो मेरे जैसे 11th के विद्यार्थी के लिए जुटाना मुश्किल था। लेकिन मैने हार नहीं मानी और इसका भी समाधान निकाला"
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स्कूल की वेबसाइट बनाकर पैसों का किया इंतजाम
कम्प्यूटर भाषा सीखने के बाद राहिल ने एप्प तो बना दिया, लेकिन समस्या थी कि आखिर इसे विद्यार्थियों तक पहुंचाएं कैसें? क्योकि Google Play Store पर पब्लिश करने के पैसे लगते हैं। राहिल आगे कहते हैं "इसके लिए मैने फिर वेबसाइट बनाना सीखा और एक स्कूल की वेबसाइट बनाकर मैने 2000/- के आसपास कुछ पैसे जूटाएं। फिर Google Play Store पर अकाउंट बनाकर एप्प को पब्लिश कर दिया। इसके बाद मै अबतक कुल 12 एप्प्स बना चूका हूं। मेरे एप्प विद्यार्थियों के बेहद उपयोगी हैं। मैने अपने गांव मौजपुर के लिए भी एप्प बना रखा हैं,जिसमें गांव की सारी आवश्यक सामग्री व जानकारियां हैं, ताकि डिजीटल भारत में मेरा गांव पीछे न रहें।"
एप्प बनाने का काम शुरू में माता-पिता को बिना बताएं किया। इमरान ने यह सारा काम राहिल के पिता को बताया। तो वह काफी खुश हुएं और कहा कि यह तो बहुत अच्छा काम हैं, इसमें छुपाने की क्या बात हैं? राहिल बताते है "मेरे इन एप्स के बारे में स्वंय इमरान सर ने लक्ष्मणगढ में एक स्पीच के दौरान वहॉं उपस्थित सभी लोगो को बताया और मेरी उनसे मुलाकात भी कराई"
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राहिल के यह सारे एप्प्स विद्यार्थियो के लिए लाभदायक हैं। खासकर सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे युवाओं के लिए। सबसे अच्छी बात इन एप्प्स में कोई विज्ञापन नहीं आता हैं, ताकि पढ़ने में कोई दिक्कत न हो।
इन सारे एप्स को यहां से डाउनलोड किया जा सकता हैं (क्लिक करें)
✍ अणदाराम बिश्नोई
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